पाठ – 3 || पद – तुलसीदास
पद – तुलसीदास
कबहुँक अंब अबसर पाइ
मेरिओ सुधि धाइबी कछु करुन -कथा चलाइ
दीन, सब अँगहीन, छीन, मलीन, अघी अघाइ
नाम लै भरै उदर एक प्रभु -दास -दास कहाइ
बूझिहैं सो है कौन , कहिबी नाम दसा जानाइ
सुनत रामकृपालु के मेरी बिगारिऔ बनि जाइ
जानकी जगजननि जन की किए बचन- सहाइ
तरै तुलसीदास भव तव- नाथ-गन गम गाइ
द्वार हौं भोर ही को आजु
रटत रिरिहा आरी और न, कौर ही तें काजु
काली कराल दुकाल दारुन, सब कुभाँति कुसाजु
नीच जन, मन ऊंच, जैसी कोढ़ में की खाजु
हहरि हिय में सदय बुझयो जाइ साधु-समाजु
मोहुसे कहुँ कतहुँ कोउ, तिन्ह कहयो कोसलराजु
दीनता-दारिद दलै को कृपाबारधिबाजु
दानि दसरथरायके, तू बानइत सिरताजु
जनमको भूखौ भिखारी हौ गरीबनिवाजु
पेट भरि तुलसिहि जेवाइय भगति-सुधा सुनाजू
शब्दार्थ
कबहुँक
दीन
उदर
अर्थ स्पष्ट करें
1
कबहुँक अंब अबसर पाइ
मेरिओ सुधि धाइबी कछु करुन -कथा चलाइ
प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खण्ड से ली गई है | इस पद के कवि गोस्वामी तुलसीदास जी है | इस पंक्ति में तुलसीदास जी सीता को माँ कहकर संबोधित करते हुए कहते है कि हे माँ जबकभी भी उचित अवसर मिले तो कोई प्रसंग छेड़ कर मेरी भी याद प्रभु को दिला देना |
दीन, सब अँगहीन, छीन, मलीन, अघी अघाइ
नाम लै भरै उदर एक प्रभु -दास -दास कहाइ
प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खण्ड से ली गई है | इस पद के कवि गोस्वामी तुलसीदास जी है | इस पंक्ति में तुलसीदास जी सीता को माँ कहकर संबोधित करते हुए कहते है कि हे माँ प्रभु को कहना की आपकी दासी का दास बहुत ही दीन दशा में है | उसके अंग भी ठीक से काम नहीं कर रहे है | वह बहुत ही दुर्बल है और वह स्वच्छ भी नहीं रहता है | वह पापों में लिप्त है और आपके नाम को लेकर अपने पेट को भरता है |
बूझिहैं “सो है कौन” , कहिबी नाम दसा जानाइ
सुनत रामकृपालु के मेरी बिगारिऔ बनि जाइ
प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खण्ड से ली गई है | इस पद के कवि गोस्वामी तुलसीदास जी है | इस पंक्ति में तुलसीदास जी सीता को माँ कहकर संबोधित करते हुए कहते है कि हे माँ जब आप मेरी बात प्रभु से करेंगी तो मेरा नाम और मेरी दशा भी बता देना क्योंकि अगर मेरी दशा प्रभु को पता चल गई तो मेरे सारे बिगड़े हुए काम भी बन जायेंगे |
जानकी जगजननि जन की किए बचन- सहाइ
तरै तुलसीदास भव तव- नाथ-गन गम गाइ
प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खण्ड से ली गई है | इस पद के कवि गोस्वामी तुलसीदास जी है | इस पंक्ति में तुलसीदास जी सीता को माँ कहकर संबोधित करते हुए कहते है कि हे माँ ! वैसे तो आप पुरे संसार की माँ है | आप अपनी कृपा पुरे संसार पर बरसाती है लेकिन इसके बावजूद अगर आप मेरी सहायता करेंगीं तो मै आपके नाथ का गुणगान करके भवसागर को पार कर जाऊंगा |
2
द्वार हौं भोर ही को आजु
रटत रिरिहा आरी और न, कौर ही तें काजु
प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खण्ड से ली गई है | इस पद के कवि गोस्वामी तुलसीदास जी है | इस पंक्ति में तुलसीदास जी अपनी दीन – हीन अवस्था का वर्णन करते हुए कहते है की हे प्रभु ! मैं आपके द्वार पर सुबह से ही बैठा हूँ और भीख मांगने वाले की तरह गिड़गिड़ा रहा हूँ | हे प्रभु मुझे आपसे बहुत कुछ नहीं चाहिये मै सिर्फ आपके कृपा का एक कौर ही माँग रहा हूँ
काली कराल दुकाल दारुन, सब कुभाँति कुसाजु
नीच जन, मन ऊंच, जैसी कोढ़ में की खाजु
प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खण्ड से ली गई है | इस पद के कवि गोस्वामी तुलसीदास जी है | इस पंक्ति में तुलसीदास जी अपनी दीन – हीन अवस्था का वर्णन करते हुए कहते है की हे प्रभु ! इस कलयुग में भयंकर अकाल पड़ा हुआ है जो भी मोक्ष को प्राप्त करने का मार्ग हैं वह पापों से भरा हुआ है | प्रत्येक चीज़ में दुर्व्यवस्था हैं | मै एक नीच जीव हूँ जिसकी अभिलाषाएँ ऊँची हैं जो मुझे उसी प्रकार कष्ट देती है जैसे कोढ़ में खुजली देती है | अतः हे प्रभु मेरी विनती स्वीकार करें और मुझे अपनी कृपा का एक निवाला प्रदान करें |
हहरि हिय में सदय बुझयो जाइ साधु-समाजु
मोहुसे कहुँ कतहुँ कोउ, तिन्ह कहयो कोसलराजु
प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खण्ड से ली गई है | इस पद के कवि गोस्वामी तुलसीदास जी है | इस पंक्ति में तुलसीदास जी अपनी दीन – हीन अवस्था का वर्णन करते हुए कहते है की हे प्रभु ! ह्रदय में पीड़ा के साथ मैने बहुत सारे साधू समाज से यह बात पूछा की क्या मेरे जैसे पापी, दरिद्र, के लिए कोई जगह है तो उन्होंने श्री राम का नाम बताया |
दीनता-दारिद दलै को कृपाबारधिबाजु
दानि दसरथरायके, तू बानइत सिरताजु
प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खण्ड से ली गई है | इस पद के कवि गोस्वामी तुलसीदास जी है | इस पंक्ति में तुलसीदास जी अपनी दीन – हीन अवस्था का वर्णन करते हुए कहते है की हे प्रभु ! आपके अतिरिक्त मेरी दीनता और दरिद्रता को दूर कर सकता है ! हे दशरथ पुत्र श्री राम ! आपके द्वारा ही मेरी बात बन सकती है |
जनमको भूखौ भिखारी हौ गरीबनिवाजु
पेट भरि तुलसिहि जेवाइय भगति-सुधा सुनाजू
प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खण्ड से ली गई है | इस पद के कवि गोस्वामी तुलसीदास जी है | इस पंक्ति में तुलसीदास जी अपनी दीन – हीन अवस्था का वर्णन करते हुए कहते है की हे प्रभु ! गरीबों के दुःख दूर करने वाले, मै जन्म से ही भूखा भिखारी हूँ और आप दिनों के नाथ है | तुलसी जैसा भूखा भक्त आपके द्वार पर बैठा है मुझे अपनी भक्तिरूपी रस पीलाकर मेरे ज्ञानरूपी भूख को शांत करें
MCQ | MULTIPLE CHOICE QUESTION
1. तुलसीदास का जन्म कब हुआ था ?
1543
1250
1475
1945
2. तुलसीदास का जन्म कहाँ हुआ था ?
राजापुर, बाँदा, उतर प्रदेश
हाजीपुर, बाँदा, उत्तर प्रदेश
राजपुर, बाँदा , मध्य प्रदेश
ताजपुर , बाँदा , छत्तीसगढ़
3. तुसलीदास का बचपन का नाम था ?
बमभोला
रामबोला
हरिबोला
समतोल
4. तुलसीदास के दीक्षा गुरु कौन थे ?
नरहरि दास
वल्लभाचार्य
शुक्राचार्य
द्रोणाचार्य
5. तुलसीदास के शिक्षा गुरु कौन थे ?
नरहरि दास
वल्लभाचार्य
शुक्राचार्य
शेष सनातन
6. तुलसीदास के माता का नाम क्या था ?
तुलसी देवी
तारा देवी
हुलसी देवी
7. तुलसीदास के पिता का नाम क्या था ?
आत्माराम दुबे
दीनबंधु दुबे
आत्माराम प्रसाद
देवीप्रसाद साहू
8. इनमें से कौन सी रचना तुलसीदास जी की है ?
लग्नपत्रिका
प्रणयपत्रिका
सीता स्यवंबर
विनय पत्रिका
9. इनमें से कौन सी रचना तुलसीदास जी की है ?
लग्नपत्रिका
प्रणयपत्रिका
सीता स्यवंबर
विनय पत्रिका
10. विनय पत्रिका की भाषा क्या है ?
अवधी
अंतव्रेदी ब्रजभाषा
अंगिका
मैथिली
11. हनुमानबाहुक को तुलसीदास की किस कृति का एक अंग माना जाता है ?
जानकीमंगल
कवितावली
गीतावली
श्रीकृष्ण गीतावली
12. “रामचरितमानस” किसकी कृति है ?
सूरदास
तुलसीदास
कबीरदास
नाभादास
13. तुलसीदास को किस चीज़ की भूख है ?
धान की
यश की
भक्ति की
इनमें से कोई नहीं
14. तुलसीदास के पठित पद किस भाषा में है ?
अवधी
ब्रजबोली
मैथिली
खड़ीबोली
15. तुलसीदास हिंदी साहित्य के किस काल के कवि है ?
आदिकाल
भक्तिकाल
रीतिकाल
आधुनिककाल
16. तुलसीदा का सर्वश्रेस्ट महाकाव्य कौन सा है ?
कमयानी
उर्वशी
रामचरित्रमानस
साकेत
17. तुलसीदास को शिक्षा कहाँ से मिली ?
चारो वेद
इतिहास, काव्य
स्मृतियाँ काव्य
उर्पयुक्त सभी
18. तुलसीदास ने घर का परित्याग क्यों किया ?
पत्नी की फटकार से
पत्नी के प्रेम से
पत्नी के साथ प्रगाढ़ प्रेम से
पत्नी के प्यार की वजह से
19. तुलसीदास का निवास स्थान कहाँ था ?
मथुरा
काशी
वृन्दावन
इनमे से कोई नहीं
20. तुलसीदास का व्यक्तित्व कैसा था ?
विनम्र
मृदुभाषी
गंभीर
उर्पयुक्त सभी
21. तुलसीदास ने प्रथम पद में अंब संबोधन किसके लिए प्रयुक्त किया है ?
भगवान शिव के लिए
भगवान गणेश के लिए
सीता जी के लिए
विष्णु के लिए
22. कौन सी कृति तुलसीदास द्वारा रचित नहीं है ?
वैराग्य सांदीपनी
पंचवटी
बरबैरामायण
जानकी मंगल
23. कौन सी कृति तुलसीदास द्वारा रचित है ?
उतर रामचरितम
रामयाषा
रामचारितमानस
रंजननयन
24 . तुलसीदास की पत्नी का नाम क्या था
रत्नावली
पद्मावली
मीणावली
शान्ति देवी
25 . तुलसीदास के ससुर का नाम क्या था ?
दीनबंधू पाठक
हरसूदयाल पाठक
दिनदयाल पाठक
दीनबंधू पाठक
26 . तुलसीदास का निधन कब हुआ था ?
1623
1632
1698
1645
27 . तुलसीदास ने कितने वर्षो तक काशी में रहकर विद्याअध्यन किया थे ?
16 वर्ष
33 वर्ष
15 वर्ष
दीनबंधू पाठक
Amar’s Classes for English
Address : Mirganj, Begusarai, Near Mamta Hotel
Contact : 9570589502 || 9304714697