HINDI EXPLAIN (PROSE QUIZ) || BIHAR BOARD CLASS 12 Leave a Comment / By / HINDI EXPLAIN- (PROSE QUIZ) 1 / 40 1.आदमी यथार्थ को जीत नहीं, यथार्थ को रचता भी है हॅसते हुए मेरा अकेलापन बातचीत उसने कहा था 2 / 40 2. जिस पुरुष में नारीत्व नहीं, अपूर्ण है बातचीत उसने कहा था अर्धनारीश्वर 3 / 40 3 . व्यक्ति से नहीं हमें तो नीतियों से झगड़ा है, सिद्धांतो से झगड़ा, कार्यो से झगड़ा है सम्पूर्ण क्रांति उसने कहा था बातचीत 4 / 40 4. सच है, जबतक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण - दोष प्रकट नहीं होता अर्धनारीस्वर उसने कहा था बातचीत 5 / 40 5. कैसी है चंपारण की भूमि ? मानों विस्मृति के हांथो अपनी बड़ी से बड़ी निधियों को सौंपने के लिए प्रस्तुत करती है बातचीत उसने कहा था ओ सदानीरा 6 / 40 6. नहीं फौजी वहां लड़ने के लिए है, वे भाग नहीं सकते | जो फौज छोड़ कर भागते है उसे गोली मर दी जाती है सिपाही की माँ उसने कहा था एक लेख और एक पत्र 7 / 40 7. अगर डेमोक्रेसी का दुश्मन है, तो वे लोग दुश्मन है, जो जनता के शांतिमय कार्यकर्म में बाधा डालते है, उनपर लाठियाँ चलाते है, गोलियाँ चलाते है संपूर्ण क्रांति उसने कहा था ओ सदानीरा 8 / 40 8. अब घर जाओ तो कह देना कि मुझे जो उसने कहा था, वह मैंने कर दिया है बातचीत उसने कहा था सम्पूर्ण क्रांति 9 / 40 9. हम तो केवल अपने समय की आवशकता की उपज है बातचीत उसने कहा था एक लेख और एक पत्र 10 / 40 10. नर और नारी एक ही द्रव्य की ढली दो प्रतिमाएँ है बातचीत अर्धनारीश्वर उसने कहा था 11 / 40 11. आत्महत्या एक घृणित अपराध है, यह पूर्णता कायरता का कार्य है एक लेख और एक पत्र सम्पूर्ण क्रांति बातचीत 12 / 40 12. निमोनिया से मरने वाले को मुरब्बे नहीं मिला करते है बातचीत शिक्षा उसने कहा था 13 / 40 13. एक कलाकार के लिए यह निहायत जरुरी है कि उसमें आग हो और वह खुद ठंडा हो एक लेख और एक पत्र ओ सदानीरा हॅसते हुए मेरा अकेलापन 14 / 40 14. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि विपतियाँ व्यक्ति को पूर्ण बनाने वाली होती है एक लेख और एक पत्र शिक्षा ओ सदानीरा 15 / 40 15. मनुष्य को अपने विश्वासों पर ढृढ़ता से अडिग रहने का प्रयत्न करना चाहिए एक लेख और एक पत्र सम्पूर्ण क्रांति ओ सदानीरा 16 / 40 16. आप उस समय महत्वाकांक्षी रहते है, जब आप सहज प्रेम से कोई सिर्फ कार्य करते है शिक्षा रोज़ बातचीत 17 / 40 17. आदमी भागता है तो जमींन पर वह सिर्फ अपने पैर के निशान नहीं छोड़ता, बल्कि हर निशान के साथ वहाँ की धूल में अपनी गंध भी छोड़ जाता है रोज़ तिरिछ उसने कहा था सिपाही की माँ 18 / 40 18. स्वातंत्र्य युद्ध के महानायक के उस नांदीपाठ में मानो सूत्र में संघर्ष और विजय की सारा गाथा ही समा गई ओ सदानीरा उसने कहा था तिरिछ शिक्षा 19 / 40 19. हमारे व्यवहार में सदा सख्य की स्वेछा और स्वछंदता रही है, वह कभी भातृत्व के, या बडे छोटेपन के बंधनो में नहीं घिरा शिक्षा रोज ओ सदानीरा 20 / 40 20. इस संसार से संपृक्ति एक रचनात्मक कर्म है, इस क्रम के बिना मानवीयता अधूरी है रोज़ एक लेख और एक पत्र हॅसते हुए मेरा अकेलापन 21 / 40 21. मुझे यह सोचकर एक अजीब सी राहत मिलती है और, मेरी फँसती हुई सांसे फिर से ठीक हो जाती है कि इस समय पिताजी को कोई दर्द महसूस नहीं होता रहा होगा तिरिछ शिक्षा बातचीत 22 / 40 22.कितने क्रूर समाज में रह रहे है हम, जहाँ श्रम का कोई मोल नहीं बल्कि निर्धनता को बरक़रार रखने का षड्यंत्र ही था यह सब तिरिछ शिक्षा जूठन 23 / 40 23. इस समय मैं यही सोच रहा था की बड़ी उद्दत और चंचल मालती आज कितनी सीधी हो गई है, कितनी शांत और एक अख़बार के टुकड़े को तरसती है....यह क्या। ..यह जूठन सिपाही की माँ रोज़ 24 / 40 24. मैंने देखा, पवन में चीड़ के वृक्ष,,,गर्मी में सुखकर मटमैले हुए चीड़ के वृक्ष धीरे धीरे गा रहे हो -कोई रंग जो कोमल है, किन्तु करुण नहीं अशान्तिमय है, उद्धेगमय नहीं रोज़ सिपाही की माँ जूठन 25 / 40 25. अब के हाड़ में यह आम खूब फलेगा चाचा भतीजा दोनों यही बैठकर आम खाना, जितना बड़ा भतीजा है उतना ही बड़ा यह आम है उसने कहा था सिपाही की माँ जूठन 26 / 40 26. मृत्यु के कुछ समय पहले स्मृति बहुत साफ हो जाती है, जन्म मरण की घटनाएँ एक -एक करके सामने आती है, सारे दृश्य के रंग साफ होते है, समय की धुंध बिलकुल ऊपर से छट जाती है सिपाही की माँ रोज़ उसने कहा था 27 / 40 27. प्रत्येक पत्नी अपने पति बहुत कुछ उसी दृस्टि से देखती है जिस दृस्टि से लता अपने वृक्ष को देखती है | अर्धनारीश्वर उसने कहा था सिपाही की माँ 28 / 40 28. बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और बिना लड़े सिपाही | मुझे तो संगीन चढ़ाकर मार्च का हुकुम मिल जाय, फिर सात सात जर्मन को अकेला मारकर न लौटूँ तो मुझे दरबार साहब की देहली पर मत्था टेकने का नसीब ना हो | सिपाही की माँ शिक्षा उसने कहा था 29 / 40 29. यह बात नहीं की उनकी जीभ नहीं चलती, चलती है, पर मीठी छुरी की तरह महीन मार करती हुई | अर्धनारीश्वर उसने कहा था सिपाही की माँ 30 / 40 30. वर-वधु देखकर ही क्या करना है कुंती ? मानक आए तो कुछ भी हो, तुझे पता ही है, आजकल लोगों के हाथ कितने बँधे हुए है | सिपाही की माँ उसने कहा था अर्धनारीश्वर 31 / 40 31. जैसे ही मेरी फीस की बात आई थी, उस समय हमारे पास का आखरी गिलास भी गुम हो गया था और सब लोग लोटे में पानी पीते थे | तिरिछ उसने कहा था शिक्षा 32 / 40 32. यहाँ पर प्रत्येक मुनष्य किसी न किसी के विरोध में खड़ा है और किसी सुरक्षित स्थान पर पहुँचने के लिए प्रतिष्ठा, सम्मान, शक्ति व् आराम के लिए निरंतर संघर्ष कर रहा है | शिक्षा उसने कहा था सिपाही की माँ 33 / 40 33. वैसे धीरे-धीरे मैंने अपने अनुभव से यह जान लिया था कि आवाज ही ऐसे मौके पर मेरा सबसे बड़ा अस्त्र है | उसने कहा था सिपाही की माँ तिरिछ 34 / 40 34. आश्चर्ज था कि इतने लम्बे अर्से से उसके अडडे को इतनी अच्छी तरह से जानने के बावज़ूद कभी दिन में आकर मैंने उसे मारने की कोशिश नहीं की थी | सिपाही की माँ तिरिछ बातचीत 35 / 40 35. निमोनिया से मरने वाले को मुरब्बे नहीं मिला करते | उसने कहा था सिपाही की माँ तिरिछ 36 / 40 36. पति ढाई बजे खाना खाने आते है, इसलिए पत्नी तीन बजे तक भूखी बैठी रहेगी ! शिक्षा रोज़ तिरिछ 37 / 40 37. आपके बच्चों की बड़ी उमर होगी, माँजी, हमें दो मुट्ठी चावल दे दीजिए | रोज़ सिपाही की माँ प्रगीत और समाज 38 / 40 38. बहुत थोड़े व्यक्ति ही वास्तव में क्रांति के जनक होते है | प्रगीत और समाज शिक्षा बातचीत 39 / 40 39. मुझे उस आदमी पर बहुत तरस आया और मैंने लड़कों को डाँटा भी | शिक्षा तिरिछ उसने कहा था 40 / 40 40. मुझे बहुत आश्यर्ज हुआ जब डॉक्टर ने मुझे शरबत पिलाई, घर के भीतर ले जाकर अपने बेटे से परिचय कराया और सौ-सौ के तीन नोट दिए | तिरिछ सम्पूर्ण क्रांति शिक्षा Your score is 0% Restart quiz ACE