हिंदी व्याकरण
1. हिन्दी भाषा
हिन्दी विश्व की लगभग 3000 भाषाओं में एक हैं। यह भारत में बोली जाने वाली सबसे प्रचलित भाषा है। इसका आरंभ 1000 ई पूर्व हुआ था। यह एक युरोपीय परिवार की भाषा हैं | हिन्दी भाषा का जन्म संस्कृत से हुआ हैं। भारत में यह राज्य भाषा और सरकारी काम-काज कि सबसे बड़ी भाषा हैं।हिन्दी भारत कि राष्ट्र भाषा 1965 ई० में बनी. इसकी लिपि ‘देवनागरी’ हैं। भारत’ में प्रत्येक साल 14 Sep को हिन्दी – दिवस मनाया जाता है । क्योंकि 14 Sep 1949 को भारतीय संविधान में इसे संघ कि राज्य भाषा के रूप में स्वीकार किया गया।
2. भाषा
जिस साधन के द्वारा मनुष्य अपने भावों और विचारों को लिखकर या बोलकर प्रकट करता है। उसे भाषा’ कहते हैं।
# भाषा के दो रूप होते हैं।
1. मौखिक भाषा 2. लिखित भाषा
1. मौखिक भाषा :- भाषा का बोलचाल वाला रूप मौखिक भाषा कहलाता हैं। इस भाषा की आधारभुत ईमाई’ ध्वनि हैं। इसका प्रयोग तब प्रयोग तब किया जाता हैं। जब श्रोता वक्ता सामने हो।
2. लिखित भाषा :- भाषा का लिखित वाला रूप लिखित भाषा कहलाता हैं। इस भाषा की आधार भूत, ईकाई वर्ण हैं। यह भाषा का स्थाई रूप होता हैं। जिसे हम सुरक्षित रख सकते हैं।
3. लिपि
मौखिक ध्वनियों को लिखित रूप में प्रकट करने के लिए जिस चिह्नो का प्रयोग किया जाता है। उसे लिपि कहा जाता हैं । हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती हैं। यह लिपि बाई से दाई ओर लिखी जाती हैं।
भाषा लिपि
हिन्दी देवनागरी लिपि
उर्दू फारसी लिपि
बंगाली बंगला लिपि
पंजाबी गुरुमुखी लिपि
अंग्रेजी रोमन लिपि
4. वर्ण
भाषा की सबसे छोटी ईकाई को वर्ण कहते हैं। वह मूल ध्वनि जिसके खंड या टुकड़े नहीं किए जा सकते हैं। उसे वर्ण कहते हैं।
# वर्ण के दो भेद होते हैं।
1. स्वर वर्ण 2. व्यंजन वर्ण
1. स्वर वर्ण :- वह वर्ण जिसका उच्चारण बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से हो। उसे स्वर वर्ण कहते हैं।
# हिन्दी मे स्वर वर्ण की संख्या 13 होती हैं।
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः
2. व्यंजन वर्ण :- वह वर्ण जिसका उच्चारण स्वर वर्ण की सहायता से हो। उसे व्यंजन वर्ण कहते हैं।
# व्यंजन वर्ण की कुल संख्या 33 होते हैं।
# इसमें चार संयुक्त व्यंजन वर्ण होते है :
i. क – वर्ण :- क, ख, ग, घ, ड़
ii. च – वर्ण :- च, छ, ज, झ,
iii. ट – वर्ण :- ट, ठ, ड, ढ, ण
iv. त – वर्ण :- त, थ, द, ध, न
v. प – वर्ण :- प, फ, ब, भ, म
अंत: स्थ – य, र, ल, व
उषम- श, ष, स, ह
संयुक्त- क्ष, त्र, ज्ञ, श्र
5 . वर्णमाला
क, ख, ग, घ, ङ
च, छ, ज, झ, ञ
ट, ठ, ड, ढ, ण,
त, थ, द, ध, न
प, फ, ब, भ, म
य, र, ल, व
श, श़, ष, स, ह
क्ष, त्र, ज्ञ, श्र
6. ध्वनि
वह कंपन जो किसी माध्यम से मनुषय के कानो तक जाए और उन्हें सुनाई दे उसे ध्वनी कहते है |
उच्चारण स्थान
मुँह के जिस भाग से वर्णों के ध्वनिओं का उच्चारण होता है उसे उच्चारण स्थान कहते है
1. कंठय वर्ण
2. तालव्य वर्ण
3. मूर्धन्य वर्ण
4. दंत्य वर्ण
5. ओष्ठ्य वर्ण
6. कण्ठ – तालव्य वर्ण
7. कण्ठोषय वर्ण
8. दन्तोष्ठ्य वर्ण
9. नासिक्य वर्ण
10. अलीजिह वर्ण
7. शब्द
दो या दो से अधिक वर्णो के सार्थक मेल को शब्द कहते है
जैसे – अमर, किताब, कलम, मकान, माचिस, मिठाई, जवानी,
शब्दों का वर्गीकरण
शब्दों को मुख्यत चार आधारों पर बांटा गया है
अर्थ के विचार से
रचना के विचार से
रूपांतर के विचार से
उत्पत्ति के विचार से
अर्थ के विचार से शब्द के दो प्रकार होते है
1. सार्थक शब्द – जिस शब्द का कोई अर्थ हो उसे सार्थक शब्द कहते है
जैसे – अमर, होली
2. निरर्थक शब्द – जिस शब्द का कोई अर्थ न हो उसे निरर्थक शब्द कहते है
जैसे – खड़-खड़, धर-धर, पान-तान
रचना के विचार से शब्द के तीन प्रकार होते है
1. रूढ़ – वह शब्द जिसका करने पर उसका कोई अर्थ न निकले उसे रूढ़ शब्द कहते है
जैसे – घोड़ा, मुख, पास, चल, बात, आग, गुण, फल, कौआ, नाक, छठ
2. यौगिक – दो या दो से अधिक शब्दों या शब्द खंडों से मिलकर बनने वाले शब्द को यौगिक शब्द कहते है
जैसे – परि + श्रम = परिश्रम
रेलगाड़ी, घुडसवार, रसोईघर, जेलखाना. राजपुत्र,
3. योगरूढ़ – वह शब्द जो दो या दो से अधिक अवयवों के मिलने से जो शब्द बनते है उसे योगरूढ़ शब्द कहते है
जैसे – पंकज, गजानन, दशानन, नीरज, लंबोदर, चंद्रशेखर
रूपांतर के विचार से शब्द के प्रकार होते है
1. विकारी शब्द – वह शब्द जिसके रूप में परिवर्तन होते रहते है उसे विकारी शब्द कहते है
जैसे – कुत्ता, मैं
2. अविकारी शब्द – वह शब्द जिसके रूप में परिवर्तन न होते है उसे अविकारी शब्द कहते है
जैसे – यहाँ, किन्तु, नित्य, और, हे, अरे
उत्पत्ति के आधार पर शब्द के चार प्रकार होते है
1. तत्सम – किसी भाषा के मूल शब्द को तत्सम कहते है
पौत्र, मक्षिका, शत्रु
2. तद्भव – वह शब्द जो संस्कृत और प्राकृत से विकृत होकर हिंदी में आये है उसे तद्भव कहते है
अग्नि – आग, अग्रणी – अगुवा, अन्न – अनाज
3. देशज – वे शब्द जिनकी उत्पत्ति के मूल का पता न हो लेकिन वे प्रचलन में है उसे देशज शब्द कहते है
लोटा, कटोरा, डिबिया
4. विदेशज – वे शब्द जो विदेशी भाषा से हिंदी में आये है उसे विदेशी शब्द कहते है
जैसे अजब, अमीर
______________________________________________________8. वाक्य
# वाक्यों :- शब्दो का वह समूह जिसका कोई अर्थ था मतलब हो उसे वाक्य कहते है |
जैसे :-
1. राम बाजार जाता है |
2. मैं पत्र लिखता हूँ
3. खड़े हो जाओ |
4. आपको एक गाय है |
# रचना के दृष्टि से वाक्य के तीन प्रकार होते है |
1. सरल वाक्य
2. मिश्र वाक्य
3. संयुक्त वाक्य
जैसे :-
बिजली चमकती है |
पानी बरसता है |
अमर सर पढ़ाते है |
मैं जानता हूँ की वह अमीर है |
उसकी आँखे हस्ती है, किन्तु उसका ह्रदय रोता है |
# अर्थ की दृष्टि से वाक्य के आठ भेद होते है :
1. विधिवाचक वाक्य
2. निषेधवाचक वाक्य
3. आज्ञावाचक वाक्य
4. प्रश्नवाचक वाक्य
5. संदेहवाचक वाक्य
6. विस्मयवाचक वाक्य
7. इच्छावाचक वाक्य
8. संकेतवाचक वाक्य
# प्रत्येक वाक्य के दो अंग होते है |
1. उद्देशय
2. विधेय
(1) गणेश गीत गाता है |
(2) रानी पत्र लिखती है
(3) हँसाना जरुरी है |
(4) तैरना एक व्यायाम है |
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9. संज्ञा
संज्ञा :- वह शब्द जिससे व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, स्थान, भाव और दशा का बोध हो उसे संज्ञा कहते है |
जैसे :-
(1) राम लंदन जा रहा है |
(2) गाय एक चौपाया जानवर है |
(3) बुढ़ापा दुखदायी होता है |
(4) सभी के साथ प्रेम करो |
# संज्ञा के पांच भेद होते है |
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
2. जातिवाचक संज्ञा
3. समूहवाचक संज्ञा
4. द्रव्यवाचक संज्ञा
5. भाववाचक संज्ञा
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा :- जिस शब्द से किसी खास व्यक्ति, वास्तु स्थान और प्राणी का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है |
जैसे ;- अमर, अमेरिका, हिमालय, ताजमहल, गंगा |
2. जातिवाचक संज्ञा :- जिस शब्द से किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान के पूरी जाती का बोध हो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है |
जैसे ;- आदमी, औरत, लड़का, लड़की, फूल, जानवर |
3. समूहवाचक संज्ञा ;- जिस शब्द से किसी व्यक्ति वास्तु या स्थान के समूह या झंडू का बोध हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते है |
जैसे ;- वर्ग, चाभी का गुच्छा, खिलाड़ी का दल, बालू का ढ़ेर, चिडियो का झुण्ड, लोगो की भीड़ आदि |
4. द्रव्यवाचक संज्ञा ;- जिस शब्द से नापने या तौलने वाली वस्तु का बोध हो, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है |
जैसे ;- दूध, तेल, पानी, घी, सोना, चीनी, चांदी, मैदा , आदि |
5. भाववाचक संज्ञा :- जिस शब्दो से किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, दोष या बोध हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते है |
जैसे :- बुढ़ापा, अमीरी, गरीबी, मिठास, सुन्दरता इत्यादि |
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10. लिंग
लिंग :- संज्ञा के जिस रूप से यह पता चले की वह पुरुष जाती का है या स्त्री जाती है | उसे लिंग कहते है |
# लिंग के दो भेद होते है |
1. पुल्लिंग 2. स्त्रीलिंग
1. पुल्लिंग :- जिस संज्ञा शब्द से पुरुष जाती का बोध हो उसे पुल्लिंग कहते है |
जैसे ;- घोड़ा, लड़का, पुरुष, बालक इत्यादि
2. स्त्रीलिंग :- जिस संज्ञा शब्द से स्त्री जाती का बोध हो, उसे स्त्रीलिंग कहते है |
जैसे :- लड़की, घोड़ी, स्त्री, बालिका, इत्यादि
HOT TRICK
1. जिस संज्ञा शब्द के अंत में “अ” स्वर आता है | वे प्राय : पुल्लिंग होते है |
2. ना, आव, पन, आपा, त्व , प्रयाय से बनने वाली संज्ञाए प्राय : पुल्लिंग होती है |
3. हिंदी की आकारान्त संज्ञाए प्राय: पुल्लिंग होती है |
4. दिन, महीना, ग्रह, देश, पर्वत, रतन, धातु, शरीर के अवयवों, अनाज, पेड़, तथा द्रव्य के नाम प्राय: पुल्लिंग होते है |
HOT TRICK
1. संस्कृत के आकारान्त शब्द प्राय: स्त्रीलिंग होते है |
2. इका्रान्त, ईका्रान्त, उका्रान्त शब्द प्राय: स्त्रीलिंग होते है |
3. जिन भाववाचक संज्ञाओ के अन्त में ( ट, वट, हट ) होता है | वे प्राय: स्त्रीलिंग होते है |
4. नदियों, लिपियों, बोलियों, तिथियों। भाषाओ, झीलों तथा नक्षत्र के नाम प्राय: स्त्रीलिंग होते है |
5. खाने-पिने की चीज़ तथा बनिये की दुकान की चीज़ो प्राय: स्त्रीलिंग होते है
6. “ख, तथा इया” से अंत होने वाले शब्द प्राय: स्त्रीलिंग होते है |
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11. वचन
वचन
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से एक या अनेक का बोध हो, उसे वचन कहते है |
जैसे :- लड़की, कुत्ता, घोड़ा, आँसू , लड़किया, घोड़े कुत्ते
# वचन के दो भेद होते है |
1. एकवचन
2. बहुवचन
1. एकवचन :- शब्द के जिस रूप से एक व्यक्ति या वस्तु का बोध हो उसे एकवचन कहते है |
2. बहुवचन :- शब्द के जिस रूप से एक से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओ का बोध हो उसे बहुवचन कहते है |
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12. कारक
करक
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका संबंध वाक्य के किसी दूसरे शब्दो के साथ किया जाए उसे करक कहते है |
संज्ञा या सर्वनाम के साथ जो चिन्ह लगाए जाते है उसे विभक्तिया कहते है
# कारक के आठ भेद होते है |
कर्ता कारक – ने
कर्म कारक – को
करण कारक – से
सम्प्रदान कारक – को, के लिए, हेतु
आपदान कारक – से
संबंध कारक :- का, के, की
अधिकरण कारक – में , पर
संबोधन – हे, अरे, अहो, ऐ, ओ, हाय
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13. सर्वनाम
सर्वनाम –
संज्ञा के बदले में प्रयोग किए गए शब्द को सर्वनाम कहते है |
जैसे :- मेरी भाभी लंबी है |
सर्वनाम के छ: भेद होते है :
i. पुरुषवाचक सर्वनाम
ii. निश्चयवाचक सर्वनाम
iii. अनिश्चयवाचक सर्वनाम
iv. निजवाचक सर्वनाम
v. संबंधवाचक सर्वनाम
vi. प्रश्नवाचक सर्वनाम
1. पुरुषवाचक सर्वनाम :- वह सर्वनाम जो पुरुष या स्त्री के बदले में प्रयोग हो उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है |
जैसे :- मैं, वह, तुम
2. निश्चयवाचक सर्वनाम :- वह सर्वनाम जो किसी व्यक्ति , वस्तु या घटना की निश्चितता का बोध कराए उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते है |
जैसे :- यह, वह, ये, वे, इत्यादि
3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम :- वह सर्वनाम जो किसी, निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध न कराए उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते है |
जैसे :- कोई, कुछ, इत्यादि
4. निजवाचक सर्वनाम :- वह सर्वनाम जिससे अपने आप का बोध होता हो उसे निजवाचक सर्वनाम कहते है |
जैसे :- स्वंय, खुद, अपना, अपनी इत्यादि
5. संबधवाचक सर्वनाम :- वह सर्वनाम जिससे दो संज्ञाओं के परस्पर ज्ञान का बोध हो उसे संबंधवाचक सर्वनाम कहते है |
जैसे :- जो, सो, इत्यादि
6. प्रश्नवाचक सर्वनाम :- वह सर्वनाम जिससे प्रश्न पूछने का बोध हो उसे हम प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते है |
जैसे :- कौन, कहाँ, क्या, कैसे, इत्यादि
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14. विशेषण
# विशेषण
वह शब्द जिससे किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता का बोध हो उसे विशेषण कहते है |
जैसे :- तुम सुन्दर हो |
मैं कुरूप हूँ |
तुम मोटी हो |
मैं पतला हूँ |
तुम हसीन हो |
मैं जवान हूँ |
# विशेषण के चार प्रकार होते है :
1. संख्यावाचक विशेषण
2. परिमाणवाचक विशेषण
3. गुणवाचक विशेषण
4. सार्वनामिक विशेषण
1. संख्यावाचक विशेषण – वह विशेषण जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध कराए उसे संख्यावाचक विशेषण कहते है |
जैसे :- मुझे चार दोस्त है |
मुझे बहुत दम है |
मुझे कुछ दूध है |
मैंने पहला ईनाम जीता |
2. परिमाणवाचक विशेषण – वह विशेषण जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा का बोध कराए उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते है |
जैसे :- मुझे बहुत दूध है |
आपको काम दूध है |
मुझे थोड़ा दिमाग है |
आपको ज्यादा दिमाग है |
3. गुणवाचक विशेषण – वह विशेषण जो किसी संज्ञा या सर्वानं के गन, दोष, संग, रूप, आकार, स्वभाव, दशा और अवस्था का बोध कराए उसे गुणवाचक विशेषण |
जैसे :- मैं लंबा लड़का हूँ |
तुम नाटी लड़की हो |
अमर मोटा है |
सोनाली पतली है |
4. सार्वनामिक विशेषण :- वह सर्वनाम विशेषण के रूप में प्रयोग हो उसे सार्वनामिक विशेषण कहते है | यह क्रिया के पहले आए तो उसे सर्वनाम कहते है लेकिन वह संज्ञा से पहले आए तो उसे विशेषण है |
जैसे :- यह फूल देखो |
वह लड़की देखो |
वह लड़की नाचेगी |
यह लड़का देखेगा |
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15. क्रिया
क्रिया – वह शब्दो जिससे किसी काम का होने या करने का बोध हो, उसे क्रिया कहते है |
जैसे :- मैं हसता हूँ |
तुम गाती हो |
# कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते है |
1. सकमर्क क्रिया
2. अकमर्क क्रिया
# प्रयोग के आधार पर क्रिया के आठ प्रकार है |
1. सामान्य क्रिया
2. संयुक्त क्रिया
3. प्रेरणाथक क्रिया
4. पूर्वकालिक क्रिया
5. नामधातु क्रिया
6. कृदंत क्रिया
7. सणातीय क्रिया
8. सहायक क्रिया
# काल के आधार पर क्रिया के तीन प्रकार है |
1. भूतकालिक क्रिया
2. वर्तमानकालिक क्रिया
3. भविष्यकाल क्रिया
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16. क्रिया – विशेषण
# क्रिया विशेषण
वह शब्द जो किसी क्रिया, विशेषण और क्रियाविशेषण की विशेषता बताए उसे क्रिया विशेषण कहते है |
जैसे :- तुम बहुत सूंदर हो |
तुम बहुत गोरी हो |
मैं धीरे से चलता हूँ |
वह तेज़ी से चलता है |
क्रिया विशेषण के प्रकार :-
# अर्थ के आधार पर क्रियाविशेषण के चार भेद होते है |
1. कालवाचक क्रियाविशेषण
2. रीतिवाचक क्रियाविशेषण
3. स्थानवाचक क्रियाविशेषण
4. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
# प्रयोग के आधार पर क्रियाविशेषण के तीन भेद होते है |
1. साधारण क्रियाविशेषण
2. सयोजक क्रियाविशेषण
3. अनुबध क्रियाविशेषण
# रूप के आधार पर क्रियाविशेषण के तीन भेद होते है |
1. मूल क्रियाविशेषण
2. स्थानीय क्रियाविशेषण
3. यौगिक क्रियाविशेषण
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17. काल
काल – क्रिया के जिस रूप से कार्य करने के समय का ज्ञान हो उसे काल कहते है |
जैसे :- अमर पढ़ा रहा है |
मैं प्यार करुँगा |
वह गयी |
# काल के तीन भेद होते है |
1. वर्तमान काल
2. भूत काल
3. भविष्य काल
1. वर्तमान काल – क्रिया के जिस रूप से वर्तमान समय में काम होने का बोध हो उसे वर्तमान काल कहते है |
जैसे :- मैं पढता हूँ |
मैं पढ़ रहा हूँ |
मैं पढ़ चुका हूँ |
मैं नौ साल से पढ़ा रहा हूँ |
2. भूत काल – क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय में कार्य का बोध हो उसे भूतकाल कहते है |
जैसे :- अमर ने खाना खाया |
अमर खाना खा रहा था |
अमर खाना खा चूका था |
अमर तीन दिनों से खाना खा रहा था |
3. भविष्य काल – क्रिया के जिस रूप से भविष्य में काम करने का बोध हो उसे भविष्य कल कहते है |
जैसे :- वह घर जाएगी |
वह घर जा रही होगी |
वह घर जा चुकी होगी |
वह तीन दिनों से घर जा रही होगी |
# वर्तमान काल के छ: भेद होते है |
1. सामान्य वर्तमान काल
2. अपूर्ण वर्तमान काल
3. पूर्ण वर्तमान काल
4. संदिग्ध वर्तमान काल
5. तत्कालिक वर्तमान काल
6. संभाव्य वर्तमान काल
# भूत काल के छ : भेद होते है |
1. सामान्य भूतकाल
2. आसनन भूतकाल
3. पूर्ण भूतकाल
4. अपूर्ण भूतकाल
5. संदिग्ध भूतकाल
6. हेतु-हेतु मद भूतकाल
# भविष्य काल के तीन भेद होते है |
1. सामान्य भविष्यकाल
2. संभाव्य भविष्यकाल
3. हेतु-हेतु मद भविष्यकाल
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18. संधि
# संधि
दो वर्णो के मेल से जो विकार उत्पन हो, उसे संधि कहते है | और इसी संधि के वर्णो को अलग करने की विधि को संधि-विछेद कहते है |
# संधि के तीन प्रकार होते है |
1. स्वर संधि
2. व्यंजन संधि
3. विसर्ग संधि
# स्वर संधि के पांच प्रकार होते है |
1. दीघ्र स्वर संधि
2. गुण स्वर संधि
3. वृद्धि स्वर संधि
4. यन स्वर संधि
5. अयादि स्वर संधि
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19. उपसर्ग
# उपसर्ग :- वह अक्षर या अक्षर का समूह जो किसी शब्द के पहले जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन ला दे उसे उपसर्ग कहते है |
जैसे :- प्र + हार = प्रहार
उप + कार = उपकार
अधि + कारी = अधिकारी
# उपसर्ग के तीन भाग होते है |
1. संस्कृत के उपसर्ग
2. हिंदी के उपसर्ग
3. आगत उपसर्ग
उपसर्ग की सूचि
1. खुश
2. बा
3. बे
4. नि
5. निर
6. हम
7. हर
8. परि
9. परा
10. प्र
11. प्रति
12. सम्
13. सर
14. सु
15. उप
16. उत्
17. दर
18. दुष
19. दुर
20. ना
21. अ
22. अधि
23. अभी
24. अति
25. अप
26. आ
27. अब
28. अनु
29. गैर
30. अल
31. ला
32. परि
33.अपि
34. त्रि
35. स्व
36. वि
37. स
38. कम
39. बद
40. ऐन
41. चिर
42. हैड
43. बेश
44. अन
45. अध
46. चौ
47. उन
48. कु
49. भर
50. पर
51. पच
52. बिन
53. हाफ
54. को
55. वाइस
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20. प्रत्यय
# प्रत्यय :- जो शब्दांश शब्द के अंत में जोड़े जाते है, उसे प्रत्यय कहते है |
जैसे :-
गाड़ी + वान = गाड़ीवान
अपना + पन = अपनापन
# प्रत्यय की सूचि :-
1. अन
2. आन
3. आहत
4. ई
5. ऐरा
6. कार
7. गाड़
8. आनी
9. इयल
10. दान
11. दार
12. मंद
13. वाला
14. आव
15.आवा
16. कर
17. हार
18. बाज़
19. साज़
20. गी
21. व ाँ
22. इत
23. ईय
24. ईला
25. इत्र
26. वैया
27. अनीय
28. औती
29. या
30. बंद
31. वान
32. बीन
33. वार
34. खोर
35. भर
36. त्र
37. इया
38. आवट
39. पन
40. औता
41. आर
42. ता
43. ती
44. हट
45. वट
46. आप
47. आई
48. आ
49. अक
50. अ
51. अक्कड़
52. आक
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21.अव्यय
अव्यय :- वह शब्द जिसके रूप में वचन, लिंग, कारक, काल, पुरुष के कारण कोई परिवर्तन न हो उसे अवयय कहते है |
जैसे :- अमर धीरे- धीरे लिखता है |
अमर तेज़ दौड़ता है |
वह रात भर प्यार करता है |
मैं हर बार प्यार करता हूँ |
वह अवश्य आएगी |
# अव्यय के पाँच प्रकार होते है |
1. क्रिया विशेषण
2. समुच्चय बोधक
3. संबंधबोधक
4. विस्मयदि बोधक
5. नियात
1. क्रियाविशेषण :- ऐसे सब्द जो क्रिया की विशेष्ता बताए उसे क्रियाविशेषण कहते है |
जैसे :-
1. अमर तेज़ दौड़ता है |
2. अमर अच्छा बोलता है |
3. वह कल आएगी |
4. मैं खूब लिखता हूँ |
5. मैं जोर से बोलता हूँ |
2. समुच्चय बोधक – वह शब्द या अव्यय जो दो वाक्यों को जोड़ता है | उसे समुच्चय बोधक कहते है |
जैसे :-
1. मैं बीमार हु इसलिए मैं नहीं पढ़ाऊंगा |
2. तुम मेहनत करती हो, इसलिए तुम आमिर हो |
3. अमर ईमानदार है , इसलिए सभी उसे प्यार करते है |
4. प्रीति कमजोर है, इसलिए वह दौड़ नहीं सकती |
5. मैं स्कूल नहीं गया क्योकि मैं बीमार था |
3. संबंधबोधक :- वह अव्यय जो संज्ञा या सर्वनाम के बाद जुड़कर उस संज्ञा या सर्वनाम का सम्बन्ध वाक्य के दूसरे शब्दो के साथ दर्शाते है, उसे संबंधबोधक अव्यय कहते है |
जैसे :-
1.
2.
3.
4.
5.
4. विस्मयादि बोधक – वह शब्द जो व्यक्ता के ह्रदय के शोक, घृणा, विस्मय, गलानि, आश्चर्य को दर्शाए उसे विस्मयादिबोधक अव्यय कहते है |
जैसे :-
1. छी-छी तुम फिर फेल हो गई |
2.
3.
4.
5. निपात :- वह अव्यय जो किसी शब्द पर जोर डाले या बल प्रकट करे उसे निपात अव्यय कहते है |
जैसे :-
1. कृष्णा ने ही कंश को मारा |
2. अमर भी प्रीति के साथ है |
3. कोमल तो जयपुर जाने वाली थी |
4. कल मैं भी आपके साथ जाऊंगा |
5. मैं भी तुम्हे चाहता हूँ |
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22. समास
समास :- दो या दो अधिक शब्दो को मिलकर जो नया और छोटा शब्द बनता है, उसे समास कहते है |
जैसे :- राजा का कुमार = राजकुमार
रसोई का घर = रसोईघर
राजा की कन्या = राजकन्या
# जो शब्द समास के नियम से बनता है, उसे समस्त पद कहते है |
इसके दो भाग होते है :
1. पूर्व पद
2. उत्तर पद
# समास के छ: भेद होते है :
1. तत्पुरुष समास
2. अव्ययीभाव समास
3. कर्मधारय समास
4. द्विगु समास
5. द्वंद्व समास
6. बहुब्रीहि समास
1. तत्पुरुष समास :- जिस समास विग्रह में ( का, के, की, से, के लिए, के द्वारा,में , पर ) हो वह तत्पुरुष समास होता है |
जैसे : मनोहर / मुहतोड़ / राजकन्या / रंगमंच / यज्ञशाला / रणभूमि / पाठशाला / कारावास / फुलवारी /सौरमंडल
2. अव्ययीभाव समास – जिस समास विग्रह में ( अ, आ, बे, अनु, उप, अधि, भर, निर, प्रति, यथा आदि उपसर्ग हो) तो वह अव्ययीभाव समास होता है
जैसे :- भरपेट / भरपूर / प्रतिदिन / प्रतिवर्ष / यथासंभव / बेकसूर / बेवजह / प्रतिमास / बेलगाम / बेसक
3. कर्मधारय समास – जिस समास विग्रह में एक Adjective Noun हो तो वह कर्मधारय समास होता है
जैसे :- महाविधालय / नीलगगन / प्रधानमंत्री /
4. द्विगु समास – वह समास विग्रह जिसमे एक संख्यावाचक विशेषण + संज्ञा हो, तो वह द्विगु समास होता है |
जैसे : पंचवटी / चौराहा / पंजाब
5. द्वंद्व समास – वह समास विग्रह जिसमे Hyphen (-) वाले (और , अथवा, या एव ) से जुड़ने वाले शब्द द्वंद्व समास है |
जैसे :
6. बहुब्रीहि समास – जिस शब्द से भगवान का नाम या उनका प्रायपि हो तथा उसका पता चले वह हमेशा बहुब्रीहि समास होता है |
जैसे :-